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3 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली को लेकर कर्मियों में भारी उत्साह है - सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Saturday, 23 September 2023 0 comments
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 लखनऊ,23 सितंबर। 


अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि 3 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली को लेकर कर्मियों में भारी उत्साह है। उन्होंने बिहार, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ व पंजाब का दौरा करने के बाद शनिवार को त्रिगुटा सभागार,प्रत्यक्ष कर भवन, राम तीर्थ मार्ग,लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दावा किया कि केन्द्र एवं राज्य कर्मियों की 3 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी। जिसमें देश भर से लाखों कर्मचारी शामिल होकर केंद्र सरकार को चेतावनी देंगे। प्रेस कांफ्रेंस में कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के सेकेट्री जरनल एसबी यादव, कार्यकारी अध्यक्ष के तिवारी,यूपी के अध्यक्ष सुभाष पांडेय, महासचिव रविन्द्र सिंह, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, सचिव पुनीत त्रिपाठी ,पूर्व उपाध्यक्ष एसपी सिंह, राज्य अध्यक्ष कमल अग्रवाल, महासचिव अशोक सिंह व जिला अध्यक्ष अफीफ सिद्दीकी आदि मौजूद थे। प्रेस कांफ्रेंस के बाद यहां कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सर्वसम्मति सभी जनपदों से हजारों की संख्या में 3 नवंबर को रामलीला मैदान नई दिल्ली में होने वाली रैली में भाग लेने का फैसला लिया गया। श्री लांबा व एसबी यादव ने कहा कि तीन नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली पीएफआरडीए रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली, सालों से कार्यरत संविदाकर्मियों को नियमित करने, नियमित होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, खाली पड़े लाखों पदों को पक्की भर्ती से भरने, आठवें वेतन आयोग का गठन, 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने, एनएमपी के नाम पर सरकारी विभागों एवं पीएसयू के निजीकरण पर रोक लगाने, एनईपी को वापस लेने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर किए जा रहे हमलों पर रोक लगाने, यूनियनों की रद्द की गई मान्यता को बहाल करने और एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाकर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने आदि मांगों को लेकर की जा रही है। उन्होंने वन नेशन वन पेंशन के पैरोकारों से सवाल किया कि वन नेशन, वन पेंशन क्यों नहीं है। ओपीएस व एनपीएस क्यों है ? उन्होंने उप्र बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान की गई उत्पीड़न एवं दमन की कार्यवाहियों को वापस न लेने की घोर निन्दा की और बिना देरी बहाल करने की मांग की। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर सरकार ने उक्त मांगों की अनदेखी की तो चुनावों में भाजपा व उसके सहयोगी दलों को कर्मचारियों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में संविदाकर्मियों को न तो नियमित की जा रहा है और न ही समान काम समान वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में ठेकेदार संविदाकर्मियों का जमकर शोषण कर रहे हैं।


अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा व कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के सेकेट्री जरनल एसबी यादव ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार कर्मचारियों की पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने और ठेका सिस्टम बंद कर आउटसोर्स, दैनिक वेतनभोगी, कैज्युल,ग्रामीण डाक सेवक,कांट्रेक्ट आधार पर सालों से लगे कर्मचारियों को नियमित करने की पालिसी बनाने और नियमित होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने आदि मांगों की भी अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि आज बेरोजगारी चरम पर है। इसके बावजूद दो करोड़ हर साल रोजगार देने के वादे के विपरित केन्द्र सरकार ने नए पद सृजित करने पर लगभग पाबंदी लगा दी है। खाली पड़े करोड़ों पदों को स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं जनता के खून पसीने और टैक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए सरकारी विभागों एवं पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिसके चलते जन सेवाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमले किए जा रहे हैं। सभी श्रम कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड्स बना दिए गए हैं। सामूहिक सौदेबाजी और यूनियन पंजीकरण को कठिन बना दिया गया। संसद में चर्चा के बिना ही देश में नेशनल एजुकेशन पालिसी को जबरन लागू किया जा रहा है। केन्द्र सरकार उपभोक्ताओं, कर्मचारियों और इंजीनियरों के तीखे विरोध के बावजूद जबरन बिजली अमेंडमेंट बिल 2022 को संसद में पारित कर बिजली वितरण प्रणाली को भी निजी हाथों में सौंपने पर आमादा है।  उन्होंने कहा कि सरकार बड़े पूंजीपतियों को टैक्सों में लाखों करोड़ रुपए की राहत प्रदान की जा रही है और लाखों करोड़ कर्जों को माफ किया जा रहा है। दूसरी ओर केन्द्र सरकार कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के बकाया 18 महीने के डीए का भुगतान तक करने को तैयार नहीं है। आठवां पे कमीशन जनवरी 2026 से लागू होना है, लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इसका गठन तक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सरकार एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई अनावश्यक शर्तों को हटाकर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी तक देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लागू की जा रही नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई, बेरोजगारी, कुपोषण, आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि 3 नवंबर को केंद्र एवं अनेक राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे हमलों का एकजुटता के साथ माकूल जवाब दिया जाएगा।

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