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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस - सभी पढ़े - सभी बढ़े, सब को मिले अच्छी शिक्षा

Posted by : pramod goyal on : Thursday 11 November 2021 0 comments
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 राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस और गाइड्स ने शिक्षा के महत्व पर कार्यक्रम आयोजित किया। विद्यालय की सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि  प्रत्येक वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारत के महान् स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री और भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की स्मृति में मनाया जाता है। भारत में शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को हुआ था। वैधानिक रू


प से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का प्रारम्भ 11 नवम्बर 2008 से किया गया है। यह तिथि भारत के प्रसिद्ध व्यक्तित्व अबुल कलाम आज़ाद से जुड़ी है। इस महान् विभूति का जन्म सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। मौलाना आजाद  कवि, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी भी थे उन्होंने देश  के कई बड़े शैक्षणिक संस्थानों की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि आजाद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना अबुल कलाम आजाद 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक देश के पहले शिक्षा मंत्री रहें। 2008 में इनकी जयंती को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी

देश के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के कार्यकाल में ही 1951 में देश को प्रथम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग  की स्थापना की गई थी। साथ ही उन्होंने ए आई सी टी ई  जैसे संस्थान की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई। महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित होकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत में शिक्षा के बहुत बड़े पैरोकारों में से थे। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने बालिकाओं से मन लगा कर शिक्षा प्राप्त करने का आह्वान किया क्योंकि शिक्षा रूपी दीपक से अज्ञानता का अंधेरा समाप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर सिया, खुशी, भूमिका, संध्या और ज्योति ने चित्रों के माध्यम से सभी को गुणात्मक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

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