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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कामकाजी महिलाओं की समस्याओं पर आयोजन किया गया

Posted by : pramod goyal on : Monday 8 March 2021 0 comments
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 फरीदाबाद,8 मार्च। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कामकाजी महिलाओं की समस्याओं पर नगर निगम आडिटोरियम में कन्वैंशन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता कामकाजी महिलाओं की प्रतिनिधि बृजवती, कमला, वीणा, कमलेश संतोष, कुसुम, शकुंतला व सुलोचना ने संयुक्त रूप से की। कन्वैंशन में  जनतांत्रिक अधिकारों, सरकारी विभागों व रोजगार को बचाने और गैर बराबरी व शोषण पर आधारित व्यवस्था के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का निर्माण करने का संकल्प लिया गया। जिला सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर द्वारा संचालित इस कन्वैंशन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री व जिला कमेटी के अध्यक्ष अशोक कुमार भी मौजूद थे। राज्य कमेटी की नेता बृजवती व कमला ने महिलाओं को शोषण व गैर बराबरी के खिलाफ और मांगों के समर्थन में चल रहे आंदोलन में बढ़-चढ़कर कर शामिल होने का आह्वान किया।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कन्वैंशन को संबोधित करते हुए कहा कि नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के लागू होने के बाद महिलाओं का शोषण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारियों को आठ घंटे की बजाय 6 घंटे की ड्यूटी करने और कार्यस्थलों पर अलग से साफ सुथरे शौचालयों का प्रबंध करने करने जैसी बुनियादी सुविधाओं की तरह भी सरकारों का ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा रोडवेज की बसों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर पुरुष बैठे रहते हैं, लेकिन बस कंडक्टर महिलाओं को आरक्षित सीटों पर बैठाने का साहस नहीं कर पाता है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग मे आईसीडीएस सुपरवाइजर की प्रमोशन होने पर प्रताड़ना करते हुए नजदीक के खंडों में जगह ख़ाली होते हुए दूर दराज लगाया गया है और आज वही विभाग महिलाओं की शान में कसीदे काढ़ने में जुटा हुआ है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा लागू होने से महिला कर्मचारियों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है। इसके खिलाफ शिकायत करने पर ठेका कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं अपने घरों तक में सुरक्षित नहीं है। इसलिए लिंग अनुपात गिर रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़ व कार्यस्थलों पर भेदभाव की लगातार शिकायतें आ रही है। लेकिन सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारों पर लाखों करोड़ों तो खर्च कर रही है, लेकिन इन घटनाओं को रोकने के प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने कहा कि अगर हम बहुओं को बेटियां मानकर व्यवहार करे तो घरों में कोई समस्या नहीं आ सकती है। उन्होंने कहा कि हमने अपने घरों में पुरुष प्रधान समाज की सोच को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं चारों तरफ सफलता के झंडे गाड़ रही है। उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, उन्हें अवसर देने की आवश्यकता है।

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