//# Adsense Code Here #//
नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में महा दरिंदगी हुई थी और उसके बाद देश सड़क पर उतर आया था। निर्भया गैंगरेप केस ने पू
री दुनिया को हिलाकर रख दिया था लेकिन आज तक उस मामले के दोषी जिन्दा हैं जिसे लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं कि उन्हें फांसी पर कब लटकाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को पिछले साल 5 मई को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। इसे खारिज किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को चारों मुजरिमों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इस मामले को लेकर फरीदाबाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का कहना है कि अब तक इन चारों को फांसी पर चढ़ा दिया गया होता तो देश में इस तरह की दरिंदगी के मामले कम हो जाते। वकील पाराशर का कहना है कि अब भी देश में ऐसी बारदातें हो रहीं है। मासूम बच्चियों को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के कुछ दरिंदों को फांसी पर लटकाने के बाद ऐसे अपराध कम हो जायेंगे और बहन बेटियों को आँख दिखाने से पहले लोग 100 बार सोंचेंगे।
री दुनिया को हिलाकर रख दिया था लेकिन आज तक उस मामले के दोषी जिन्दा हैं जिसे लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं कि उन्हें फांसी पर कब लटकाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को पिछले साल 5 मई को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। इसे खारिज किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को चारों मुजरिमों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इस मामले को लेकर फरीदाबाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का कहना है कि अब तक इन चारों को फांसी पर चढ़ा दिया गया होता तो देश में इस तरह की दरिंदगी के मामले कम हो जाते। वकील पाराशर का कहना है कि अब भी देश में ऐसी बारदातें हो रहीं है। मासूम बच्चियों को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के कुछ दरिंदों को फांसी पर लटकाने के बाद ऐसे अपराध कम हो जायेंगे और बहन बेटियों को आँख दिखाने से पहले लोग 100 बार सोंचेंगे।
No comments :