ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा ने कहा है कि पूरे देश में प्राइवेट स्कूलों के लिए जायज व वैधानिक फीस लेने का केंद्रीय कानून बनने पर ही शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लग सकेगी। इसके लिए आइपा की कोर कमेटी व शिक्षा विदों की टीम द्वारा बनाए गए "राष्ट्रीय फीस रेगुलेशन ड्राफ्ट" को केंद्र सरकार तुरंत मंजूरी प्रदान कराए। इस मांग का प्रस्ताव आईपा द्वारा सभी राज्यों की आइपा टीम के साथ रविवार को आयोजित ज़ूम मीटिंग में पारित किया गया। आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस जूम मीटिंग में हरियाणा, पंजाब,दिल्ली, राजस्थान, आंध्र प्रदेश तेलंगाना सहित 16 राज्यों के आईपा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अशोक अग्रवाल ने कहा है कि राष्ट्रीय फीस रेगुलेशन ड्राफ्ट के आधार पर केंद्रीय कानून बनने के बाद फीस को लेकर प्राइवेट स्कूल संचालक व अभिभावकों के बीच में जो आए दिन टकराव होता रहता है और न्यायालय में मुकदमे बाजी होती रहती है उसमें काफी हद तक कमी आएगी। अतः बिना देर किए केंद्र सरकार को प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर अभिभावकों के हित में एक केंद्रीय कानून शीघ्र बनाना चाहिए। मीटिंग में इस बात पर नाराजगी प्रकट की गई कि आईपा की ओर से 31 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए राष्ट्रीय फीस रेगुलेशन ड्राफ्ट पर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की गई है। निर्णय लिया ग
या कि राष्ट्रीय फीस रेगुलेशन ड्राफ्ट पर उचित कार्रवाई करने के लिए एक रिमाइंडर पत्र प्रधानमंत्री को भेजा जाए। इसी निर्णय के अनुसार आईपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री को एक रिमाइंडर पत्र भेजकर राष्ट्रीय फीस रेगुलेशन ड्राफ्ट पर उचित कार्रवाई करने की अपील की है। आईपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने सभी राज्य प्रतिनिधियों से कहा है कि वे अपने अपने राज्य में सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार करवाने, उनमें सभी जरूरी संसाधन और अध्यापकों की कमी को दूर कराने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर करें। इसके लिए लोकतंत्र के चारों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया का सहारा लें। सरकारी शिक्षा मजबूत होने से भी शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लग सकेगी। मीटिंग का संचालन आइपा नेशनल वाइस प्रेसिडेंट वेंकट रेड्डी ने किया। मीटिंग में सभी राज्य प्रतिनिधियों ने बताया कि उनके राज्य में शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए जो एजुकेशन एक्ट/नियमावली बना हुआ है उसमें काफी कमियां हैं जिनका फायदा प्राइवेट स्कूल संचालक उठा लेते हैं और हाईकोर्ट व उच्चतम न्यायालय में अपने हित में फैसला करा लेते हैं।
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