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फरीदाबाद 14 फरवरी सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन से संबंधित ओ एम पी वर्कर्स यूनियन की महत्वपूर्ण बैठक रविवार को सिटी पार्क बल्लभगढ़ में संपन्न हुई। इसकी अध्यक्षता प्रधान चंद्रपाल सिंह ने की जबकि संचालन सचिव अरविंद कुमार ने किया। इस अवसर पर सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर, जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल, एवं शिवप्रसाद उपस्थित रहे। बैठक में आगामी16फरवरी को सीटू की राज्य कमेटी के आह्वान पर परिवहन मंत्री श्री मूलचंद शर्मा के आवास की घेराबंदी में भाग लेने का प्रस्ताव
पास किया गया। आम सभा में उपस्थित वर्करों को संबोधित करते हुए कॉमरेड शिवप्रसाद और वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने केंद्र सरकार पर देश के किसानों के आंदोलन की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि चुनाव से पहले इस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इन कानूनों को लागू करने के बजाएं दो करोड बेरोजगारों को प्रतिवर्ष रोजगार देने, डीजल पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमतों पर रोक लगाने, महंगाई कम करने, श्रम कानूनों को ज्यों का त्यों लागू करने, सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाने का वादा किया था। लेकिन सत्तासीन होने के बाद इस सरकार ने धीरे धीरे जन सेवाओं के विभागों का निजीकरण करना शुरू कर दिया। देश की परिसंपत्तियों को ओने पौने दामों पर बेचने के लिए टेंडर लगाने शुरू कर दिए। मुनाफे में चल रहे हिंदुस्तान पैट्रोलियम, भारत पैट्रोलियम, इंडियन ऑयल जैसी कंपनियों को भी निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। रेलवे, रोडवेज, एयर इंडिया, बिजली ,पानी, बैंक, बीमा,कंपनी को प्राइवेट क्षेत्रों को दिया जा रहा है। कर्मचारियों की भर्तियां बंद है सरकार ने मजदूरों की गाढ़ी कमाई से निर्मित श्रम कानूनों में संशोधन कर दिया है। पहले से बनाए गए ट्रेड यूनियन अधिकार छीने जा रहे हैं। मजदूरी भुगतान और न्यूनतम मजदूरी सहित औद्योगिक विवाद अधिनियम, सामाजिक सुरक्षा, कारखाने में काम करते वक्त शरीर के अंग भंग हो जाने पर मुआवजा प्रदान करने जैसे कानूनों को समाप्त किया जा रहा है। काम करने के घंटे आठ के बजाय 12 कर दिए गए हैं। अब मजदूरों को ओवरटाइम देने की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है। सरकार ने कोराना काल में आनन-फानन में 44 श्रम कानूनों को 4 लेबर कोड्स में बदलने का काम किया। इन कानूनों में संशोधन कॉरपोरेट घरानों के लिए किए गए हैं हड़ताल करने धरना, प्रदर्शन, रैली जुलूस भूख हड़ताल इत्यादि के अधिकार पर रोक लगाने की कोशिश की जाएगी। आज की बैठक में किसानों के लिए बनाए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने , समर्थन मूल्य को अमलीजामा पहनाने, और कोऑपरेटिव फार्मिंग की पद्धति को समाप्त करने की मांग की गई।
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