HEADLINES


More

अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती पर चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धा सुमन अर्पित किए

Posted by : pramod goyal on : Friday 25 December 2020 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//


   फ़रीदाबाद 25 दिसम्बर I भारतीय राजनीति के युगपुरुष, पूर्व  प्रधानमंत्री, महान कवि, भारत रत्न, परम श्रद्धेय स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी  जी की जन्म जयंती के उपलक्ष्य पर आज भारतीय जनता पार्टी फ़रीदाबाद ज़िला कार्यालय पर ज़िला अध्यक्ष गोपाल शर्मा और ज़िला पदाधिकारियों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनको नमन किया I इस अवसर पर ज़िला अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने उनको स्मरण करते हुए उनके जीवन परिचय को कार्यकर्ताओं के सामने रखा I अपने सम्बोधन में ज़िला अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल हो गए I  अटल जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वाजपेयी जी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी जी 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने I 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। उन्होंने अंतोदया अन्न योजना और सर्व शिक्षा अभियान जैसी काफ़ी योजनाओं के माध्यम से देशवासियों को सशक्त करने का कार्य किया I सुशासन को आज की राजनीति का अहम हिस्सा बनाने का श्रेय उनको जाता है I ग़रीब और किसानों के हित में बनने वाली सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार के सख़्त ख़िलाफ़ थे इसलिए भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सख़्त कदम कदम उठाए I अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को विश्वस्तर पर मान दिलाने के लिए काफी प्रयास किए। वह 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री थे। संयुक्त राष्ट्र संघ में उनके द्वारा दिया गया हिंदी में भाषण उस समय काफी लोकप्रिय हुआ था। इसके बाद कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर अटल ने हिंदी में दुनिया को संबोधित किया। 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण उनकी इस सोच का परिचायक था कि भारत दुनिया में किसी भी ताकत के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं है। अटल जी के दिल में एक राजनेता से कहीं ज्यादा एक कवि बसता था। उनकी कविताओं का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता रहा है।


No comments :

Leave a Reply