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फरीदाबाद,24 दिसंबर।
किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के समर्थन में सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए गांवों में चलाए जा रहे अभियान को तेज कर दिया है। इस अभियान में बृहस्पतिवार को अटाली, जल्हाका,मोहना व अमरपुर में किसानों की सभाएं आयोजित की गई। इस अभियान का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह व धर्मचंद, किसान संधर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत, बीकेयू से बब्लू हुड्डा, बीरेंद्र सिंह दयालपुर, एसकेएस के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व रमेश चन्द्र तेवतिया आदि कर रहे थे। किसान संधर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत व किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों के खातों में डाले जाने वाले 18 हजार करोड़ रुपए पीएम मोदी के निजी खाते से नही जाएंगे। वह टेक्स पेयर्स का पैसा है, जबकि प्रचार ऐसा किया जा रहा है, जैसे पीएम अपने निजी खाते से 9 करोड़ किसानों को 18 हजार करोड़ रुपए दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार कृषि कानूनों की लगातार वकालत कर किसानों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही हैं। इसीलिए किसान आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है और कड़ाके की ठंड व अन्य कारणों से आंदोलन में 39 किसान शहीद हो गए हैं। जिसके लिए केन्द्र की मोदी सरकार की हठधर्मिता है। जिसको किसान कभी भी नही भूल पाएंगे।
बीकेयू से बब्लू हुड्डा,नाहर सिंह धालीवाल व अमरनाथ पूर्व सरपंच दयालपुर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा की एक तरफ सरकार किसानों के साथ बातचीत का दिखावा कर रही है और दुसरी तरफ स्वयं पीएम कृषि कानूनों की वकालत कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार किसानों के विरोध के बावजूद कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए संसद में जबरन तरीके से बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून और बिजली संशोधन बिल 2020 किसानों के लिए डेथ वारंट है। जब तक सरकार इन्हें वापस नहीं लेगी,देशभर में आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसान 27 दिसंबर को पीएम मोदी की मन की बात कार्यक्रम में थालियां बजाकर विरोध करेंगे। उन्होंने बताया कि 28 दिसंबर को फरीदाबाद के किसान संगठन पलवल केएमपी के समीप बैठे किसानों को साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए जाएंगे।
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