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छोटे बच्चों को भारी स्कूल बैग व होमवर्क से मिल सकती है राहत

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 9 December 2020 0 comments
pramod goyal
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 स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को भारी भरकम बस्ते से जल्द राहत मिल सकती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों की इस मुश्किल पर भी ध्यान दिया गया हैै। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल बैग पर अपनी नई नीति में दूसरी कक्षा तक गृह कार्य नहीं देने, स्कूलों में वजन करने वाली डिजिटल मशीनें रखने और परिसर में पेय जल उपलब्ध कराने जैसी सिफारिश की हैं। साथ में पहियों वाले बैगों पर रोक लगाने की भी अनुशंसा की है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप की गई सिफारिशों में कक्षा एक से 10वीं तक के विद्यार्थियों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि इ

स क्षेत्र में किए गए शोध अध्ययन के आधार पर स्कूल बैग मानक भार को लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की सिफारिश है और यह सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार की जाती है।
स्कूल में हो वजन तौलने की मशीन
स्कूलों से कहा है गया है कि वे वजन करने वाली डिजिटल मशीनें विद्यालय परिसर में रखें और नियमित आधार पर स्कूल के बैग के वजन की निगरानी करें। नीति दस्तावेज में कहा गया है कि पहिये वाले बैग पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि सीढ़ियां चढ़ते वक्त यह बच्चे को चोटिल कर सकते हैं। उसमें कहा गया है कि स्कूलों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जो सुविधाएं उन्हें अनिवार्य रूप से प्रदान करनी चाहिए, विद्यालय उन्हें पर्याप्त मात्रा और अच्छी गुणवत्ता में उपलब्ध कराएं जैसे मध्याह्न भोजन ताकि बच्चे घर से टिफिन जैसे सामान लेकर नहीं आएं।
सिर्फ 2 घंटे का हो होमवर्क
नीति दस्तावेज में कहा गया है कि स्कूल या कक्षा के समय को लचीला बनाने की जरूरत है और बच्चों को खेल एवं शारीरिक शिक्षा तथा स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों के अलावा किताबें पढ़ने का पर्याप्त समय दिया जाए। नीति में कहा गया है कि दूसरी कक्षा तक कोई गृह कार्य नहीं दिया जाए और नौवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को रोजाना अधिकतम दो घंटे का गृह कार्य दिया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि तीसरी, चौथी और be पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों को हफ्तें में अधिकतम दो घंटे का गृह कार्य दिया जा सकता है। छठीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को अधिकतम एक घंटे का गृह कार्य दिया जाना चाहिए।
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि बस्ते का वजन, प्राइमरी क्लास के बच्चों को होमवर्क ना देना, उनके  स्कूल बैग को  स्कूल में ही रखवाना, सीमित संख्या में होमवर्क देना, प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी और महंगी किताबों की जगह एनसीआरटीसी की किताबें लगाना आदि नियम कानून तो पहले से ही बने हुए हैं लेकिन स्कूल संचालक कमीशन खाने के चक्कर में फ़ालतू किताब कॉपी पेरेंट्स से खरीदवाकर बस्ते का वजन बढ़ा देते हैं। इस कमीशनगिरी में स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है तभी वे शिकायत मिलने पर भी दोषी स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई नहीं करते हैं।अब देखना यह है कि नए कानून जो बनाए जा रहे हैं उनका पालन स्कूल वाले कितना करते हैं।

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