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फरीदाबाद का जे.सी. बोस वाईएमसीए विश्वविद्यालय परिसर जल्द ही सौर ऊर्जा पर चलेगा। विश्वविद्यालय ने ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत से स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने परिसर में सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए एक सोलर एनर्जी कंपनी के साथ समझौता किया है।
समझौते के अंतर्ग
त हरियाणा सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) के सहयोग से विश्वविद्यालय में 266 किलोवाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप एसपीवी पावर का प्लांट लगाया जायेगा। सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने पर विश्वविद्यालय की सालाना कम से कम 20 लाख रुपये की बचत होगी।
त हरियाणा सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) के सहयोग से विश्वविद्यालय में 266 किलोवाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप एसपीवी पावर का प्लांट लगाया जायेगा। सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने पर विश्वविद्यालय की सालाना कम से कम 20 लाख रुपये की बचत होगी।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए पूरी तरह से निःशुल्क होगा क्योंकि इस सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, संचालन और रखरखाव की लागत कंपनी द्वारा वहन की जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य ग्रीन कैंपस पहल को बढ़ावा देना है। इसी के दृष्टिगत सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की मांग को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा कई भवनों की छतों पर खाली जगहों का उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए करने की इच्छा व्यक्त की गई थी और प्रस्ताव दिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सोलर प्लांट से बिजली उत्पादन न केवल विश्वविद्यालय के बिजली बिलों को कम करेगा, बल्कि विश्वविद्यालय के ‘स्वच्छ ऊर्जा मिशन’ को भी पूरा करेगा और साथ ही उनके कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय को हाल ही में अपने भवन में ऊर्जा संरक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय को हाल ही में अपने भवन में ऊर्जा संरक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
कंपनी ने विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य रूप से प्रशासनिक ब्लॉक, शैक्षणिक ब्लॉक और शकुंतलम सभागार जैसी प्रमुख इमारतों पर सौर पैनल स्थापित करने के लिए जगह की पहचान की है, जहां एक बिजली की आपूर्ति की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
इस समझौते के अनुसार सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का कार्य मार्च, 2021 के अंत तक पूरा हो जाएगा और अप्रैल 2021 से इसका उपयोग किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय को सौर ऊर्जा टैरिफ दरों पर मिलेगी, जोकि ग्रिड टैरिफ से सस्ती होगी। सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने पर विश्वविद्यालय की सालाना कम से कम 20 लाख रुपये की बचत होगी। इस समय विश्वविद्यालय का मासिक बिजली बिल प्रतिमाह औसतन 8 लाख रुपये आता है।
इस समझौते के अनुसार सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का कार्य मार्च, 2021 के अंत तक पूरा हो जाएगा और अप्रैल 2021 से इसका उपयोग किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय को सौर ऊर्जा टैरिफ दरों पर मिलेगी, जोकि ग्रिड टैरिफ से सस्ती होगी। सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने पर विश्वविद्यालय की सालाना कम से कम 20 लाख रुपये की बचत होगी। इस समय विश्वविद्यालय का मासिक बिजली बिल प्रतिमाह औसतन 8 लाख रुपये आता है।
पद्मजा बापतला ने बताया कि इस समझौते के तहत कंपनी टर्नकी आधार पर 266 किलोवाट के रूटॉप सोलर प्लांट को शुरू करेगी और अगले 25 वर्षों तक अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (रेसको) के माॅडल पर इसका संचालन और रखरखाव करेगी। इसके लिए विश्वविद्यालय की कोई लागत नहीं आयेगी। अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (रेसको) के माॅडल के तहत संयंत्र से उत्पन्न होने वाली बिजली की आपूर्ति विश्वविद्यालय को अगले 25 वर्षों तक 3.30 रुपये प्रति यूनिट की लागत से होगी।
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