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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस - प्रत्येक चालीस सेकंड में आत्महत्या

Posted by : pramod goyal on : Thursday 10 September 2020 0 comments
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फरीदाबाद।


राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में द राइजिंग तमसो मा ज्योतिर्गमय, जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड तथा गाइडस ने मिलकर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आत्महत्या रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया। द राइजिंग तमसो मा ज्योतिर्गमय के फाउंडर प्रेसिडेंट तथा द राइजिंग तमसो मा ज्योतिर्गमय के फाउंडर मेंबर एवम् प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस जागरूकता कार्यक्रम मनाया जाता है। यदि किसी को आत्महत्या के विचार आ रहे हैं तो किसी सम्बन्धी से बात साझा करनी चाहिए। हेल्पलाइन या पेशेवर परामर्शदाता या मनोचिकित्सक से बात करनी चाहिए। परिवार और मित्र आसपास रहें। यह विश्वास कराना चाहिए कि वह उस व्यक्ति से बहुत प्यार करते हैं और समझते हैं। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा आत्महत्या पर पहली वैश्विक रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से बीते पांच वर्षों में राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति बनाने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी इनकी संख्या सिर्फ 38 है, जो कि बहुत कम है। अन्य देशों और सरकारों को भी इस दिशा में आगे बढ़कर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह जानकारी दी गई। सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड अधिकारी रविन्द्र कुमार मनचंदा ने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 8 लाख लोग हर वर्ष आत्महत्या कर लेते हैं, अर्थात हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या से मरता है। इससे 25 गुना लोग आत्महत्या का प्रयास भी करते हैं। आत्महत्या की घटनाओं को कम करने में सबसे अधिक प्रभावी तरीका उन कीटनाशकों तक लोगों की पहुंच को रोकना है, जिन्हें पीकर अधिकांश लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं। कई कीटनाशक बहुत अधिक विषैले होते हैं और इनकी उच्च विषाक्तता का अर्थ है कि इस तरह के आत्महत्या के प्रयासों से अधिकतर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, विशेषकर उन स्थानों और स्थितियों में जहां कोई ऐंटिडॉट नहीं है। आत्महत्याओं को रोकने के लिए जहां पास में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं आत्महत्याओं से जुड़ी घटनाओं पर कवरेज को लेकर मीडिया को एजुकेट करना, युवाओं के बीच इस तरह के प्रोग्राम्स चलाना जो उन्हें जीवन में उपजे तनाव से निपटने में मदद करें, आत्महत्या के जोखिम को जांचकर जरूरतमंद लोगों की उनकी स्थिति के हिसाब से सहायता कर के तथा मानसिक चिकित्सा द्वारा ऐसी घटनाओं को समाप्त किया जा सकता है। आज प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा, तरुण शर्मा, मनीषा, प्रेमदेव, मोनिका, नविता, पूनम, संजय मिश्रा तथा छात्रा ताबिन्दा, निशा , सन्ध्या तथा पूनम ने पोस्टर द्वारा  मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया।  


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