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बच्चे हैं देश की धरोहर: पुलिस कमिश्नर फरीदाबाद

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 22 September 2020 0 comments
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 फरीदाबाद : 


विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल, एन॰आई॰टी॰-2 के अध्यापकों, विद्यार्थियों और सहायक पुलिस आयुक्त - श्रीमती धारणा यादव, श्री आदर्शदीप व श्री जयपाल सिंह के साथ कार्यालय पुलिस आयुक्त, फरीदाबाद में आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान बोलते हुए पुलिस आयुक्त, फरीदाबाद श्री ओ॰पी॰ सिंह ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं। 


श्री सिंह ने कहा कि आने वाले समय में इनके कंधों पर देश को संभालने का दायित्व होगा। ये अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन कर सकें, इन्हें इस लायक बनाने की अध्यापको और माता-पिता की संयुक्त जिम्मेदारी है। हमें बच्चों में इस तरह की सोच विकसित करनी चाहिए कि वे कुछ भी ऐसा न करें जिससे दूसरों का नुकसान हो। कानून नागरिकों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं। अतः वे पूर्णतया कानून का पालन करने वाले बनें। 

श्री सिंह ने कहा कि हम कपड़े जूते गाड़ी ए॰सी॰ और न जाने सुबह से शाम तक किन-किन सुविधाओं का उपभोग करते है लेकिन हम उनको पैदा नहीं कर सकते। इसलिए हमें अपने आपको इन सुविधाओं के मुहैया करवाने वालों का ऋणि समझना चाहिए। इस ऋण से मुक्ति का एक आसान-सा उपाय यह है कि हम समाज में जो भी काम कर रहे हैं या जो काम हमें दिया गया है, उसे लग्न, मेहनत और पूरे समर्पण के साथ पूर्ण करना चाहिए। विद्यार्थियों को लिखने पढ़ने का कार्य दिया गया है, तो उनका कर्तव्य बनता है कि वे पूरी लग्न व पुरूषार्थ से अपने आपको गुणवत्तापूर्ण बनाकर देश के काम आने के लायक बनाना चाहिए। तभी समाज में उनकी मांग और ऊँची कीमत होगी।

श्री सिंह ने कहा कि कई बार बच्चों को शिकायत होती है कि कुछ ऐसे विषय भी पढ़ा दिए जाते हैं, जो जीवन में कहीं काम नहीं आते, लेकिन ऐसे विषयों की जानकारी से इस संसार को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है। जेसै कानून की जानकारी होने से हम अपराध करने से बचे रहते हैं और समाज की कई समस्याओं के समाधान का हिस्सा बनते हैं। हमें हमेशा बड़ी और उत्तम सोच रखनी चाहिए, तभी हम बड़े काम कर सकते हैं।

श्री सिंह ने कहा कि हमारी सोच इसी तरह होती है, जेसै कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग होती है और कंप्यूटर वहीं तक काम करता है, जहाँ तक की उसमें प्रोग्रामिंग की होती है। बच्चे लालचवश कोई कार्य न करें और भय देने वाली परिस्थिति से लड़ने का सामर्थ्य हो तो मुकाबला करें अन्यथा उससे बचने का रास्ता खोजें। इन्हें समझ हो कि लड़ाई करने के बाद बात करने की बजाए लड़ाई से पहले बात करना उत्तम होता है। बच्चों को सामूहिक खेलकूद में भी हिस्सा लेना चाहिए। इससे मिलकर काम करने का किया गया वायदा पूरा करने तथा प्रतियोगिता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

श्री सिंह ने कहा कि इसके अतिरिक्त बच्चों को खुलकर अपना व्यक्तव्य देने के काबिल भी बनाना चाहिए। ये सारी चीजें केवल शिक्षा से ही संभव हैं। इसलिए अध्यापक का कार्य सबसे अधिक परमार्थ और पुरूषार्थ भरा होता है।

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