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माॅ ने 9 महीने ही रखा था, हमने 40 साल रख लिया, ये बोलते हुए बेटे ने मां को छोड दिया वृद्धाश्रम

Posted by : pramod goyal on : Friday 21 August 2020 0 comments
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फरीदाबाद। त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव, इस श्लोक को हम सब बचपन से पढते आ रहे हैं मतलब है कि तुम ही माता हो तुम ही पिता हो तुम ही दोस्त हो और सब कुछ तुम ही हो, मगर ये श्लोक फरीदाबाद के ताउ देवीलाल वृद्वाश्रम में उस वक्त धूमिल हो गया जब बुजुर्ग माता पिताओं को उनके ही बच्चों ने घर से निकाल कर वृद्वाश्रम में पहुं
चा दिया, आज वल्र्ड सीनियर सिटीजन डे है जिसपर जनता टीवी ने खास रिपोर्ट तैयार की है।
वीओ - चेहरे पर सिकन, आखों में आंसू, और मन में एक उम्मीद कि उनके बेटे उन्हें यहां से अपने साथ अपने घर लेकर जायेंगे, मन को विचलित कर देना वाले ये दृश्य हैं फरीदाबाद एनआईटी क्षेत्र में बने ताउ देवीलाल वृद्वाश्रम के, जहां 80 से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग रहते हैं जिन्हें उनके ही बेटों ने घर से बाहर धक्के मारकर निकाल दिया है। जिसके बाद इन बुजुर्ग माता पिताओं ने इस वृद्वाश्रम का सहारा लिया है।

आपको जानकार हैरानी होगी कि बुजुर्गांे की इस संख्या में ऐसे माता पिता भी शामिल है जिनके बेटे आर्थिक रूप से मजबूत हैं।
तस्वीरों में दिखाई दे रही से बुजुर्ग महिला तीन बेटों की मां है जिसमें से दो बेटे देश के बडे अस्पताल में सरकारी डाक्टर हैं और एक बेटा इंजीनियर, उसके बाद भी मां वृद्वाश्रम में अनजान लोगों के बीच अपनी जिंदगी के आखिरी दिन पूरे कर रही है।
आप इस बुजुर्ग मां की आपबीती सुनोगे तो रो पडोगे, इस मां को इसके बेटे और बहु ने पति के मरने पर चैथा भी नहीं करने दिया और घर से धक्के मारकर बाहर कर दिया, मगर मां तो आखिर मां ही होती है साहब जब हमने पूछा कि अपने बच्चों के लिये कुछ कहना चाहोगे तो उन्होंने आर्शीवाद देते हुए बस इतना कहा कि जैसे भी रहें खुश रहें।
जब हमने और बुजुर्गों से उनकी आपबीती जानी तो एक मां आंसुओं से रोने लगी, बताया कि अपने घर की बहुत याद आती है बेटा विदेश है खूब पैसे कमा रहा है मगर मां के लिये कुछ नहीं है।
मुज्जफरनगर में रहने वाले 100 साल से भी ज्यादा उम्र के इस बुजुर्ग ने 84 के दंगों में अपनी पत्नी को खो दिया था फिर बेटों ने भी साथ छोड दिया और अब वृद्वाश्रम में रहकर अपने शहर अपने घर को याद करके रोते हैं।
इस मां ने तो अपने बच्चों के साथ बिताये सारे पलों को बताते हुए कहा कि जन्म दिया, पाला पोषा, पढाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि इस दुनिया में अपना मुकाम हासिल कर सके मगर उन्हें क्या मिला घर से धक्का और वृद्वाश्रम में बेरूखी के दिन।
वृद्वाश्रम के संचालक कृष्णलाल बजाज ने जानकारी दी है कि अलग अलग क्षेत्र और प्रदेशों से उनके पास 80 से ज्यादा बुजुर्ग हैं यह संख्या लाॅकडाउन के दौरान बढी है इससे पहले करीब 60 बुजुर्ग थे, लाॅकडाउन में 20 से ज्यादा बुजुर्ग माता पिताओं को उनके बच्चों ने घर से बाहर कर दिया। संचालक बजाज का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से कोई भी ग्रांट नहीं मिलती है जिससे वह इन बुजुर्गों का जीवन यापन कर सकें, वह खुद अपना सब कुछ न्यौछावर करके अब समाज से मदद लेते हैं। इतना ही नहीं लाॅकडाउन के दौरान फरीदाबाद प्रशासन ने बुजुर्गों को राशन देने के लिये फाॅर्म तो भरवाये मगर अभी तक एक भी दाना राशन का उन तक नहीं पहुंचा है।
वृद्वाश्रम के संचालक कृष्णलाल बजाज ने लोगों से अपील की है कि विदेशों की संस्कृति को न अपनायें, अपने माता पिता को आखिरी सांस तक अपने पास रखें, अगर ऐसा होगा तो वृद्वाश्रम खोलने की जरूरत ही नहीं पडेगी।

60 साल की उम्र पार करने के बाद हर शख्स को एक खास कैटेगरी में शामिल कर दिया जाता है, बुजुर्ग यानी वरिष्ठ नागरिक। बुजुर्गों के साथ हो रही अनदेखी को लेकर साल 2007 में मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 लागू हुआ था, इसे माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख एवं कल्याण अधिनियम 2007 भी बोलते हैं इस कानून के चलते वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ हक दिए गए हैं जिससे वह अपना जीवन शांति और आराम से गुजार सके।
केंद्रीय और राज्य सरकार की ओर से बुजुर्गों को मासिक पेंशन मिलती है जो गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं या जिनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं होता या जिनका हालचाल लेने वाला इस दुनिया में कोई नहीं है।
हरियाणा ्सीनियर सिटीजन को 2250 रुपए व सुपर सीनियर सिटीजंस को 2750 रुपए।
दिल्ली् सीनियर सिटीजन को ₹2000 व सुपर सीनियर सिटीजन को ₹2500.
यूपी् सीनियर सिटीजन को ₹500 और सुपर सीनियर सिटीजन को 750ते.
महाराष्ट्र ्सीनियर सिटीजन सुपर सीनियर सिटीजन दोनों को 1000
मीडिया  आप सब से अपील करता है कि जिन्होंने अपको जन्म दिया, बडा किया, समाज के काबिल बनाया उन्हें आप इस उम्र में अकेला न छोड़े। जिन्होंने आपको उंगली पकडकर चलना सिखाया आपने उन्हीं का हाथ छोड दिया, वृक्ष कितना भी बुजुर्ग हो जाये मगर फल और छांव देना नहीं भूलता, आपके बुजुर्ग भी उसी वृक्ष की तरह होतेे हैं जो आपको फल रूपी आर्शीवाद देते हैं। 

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