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मदर ग्रुप की कार्यकर्ता दो साल से वेतन के लिए तरस रही हैं

Posted by : pramod goyal on : Monday 20 July 2020 0 comments
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फरीदाबाद 20 जुलाई  मदर  ग्रुप की  कार्यकर्ता दो साल से  वेतन के लिए तरस रही हैं।उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। प्रोग्राम अधिकारी और सीडीपीओ का कार्यालय जानबूझकर इन्हें परेशान कर रहा है। यह जानकारी सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिं
ह डंगवाल ने सेक्टर 15 में कार्यकर्ताओं की गेट मीटिंग को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया। डंगवाल ने बताया कि 21 नवंबर 2018 को तत्कालीन महिला और बाल विकास विभाग के मंत्री के साथ हुई मीटिंग में लिए गए निर्णय को फरीदाबाद के प्रोग्राम अधिकारी का कार्यालय लागू नहीं कर रहा है। जिसमें मदर ग्रुप की कार्यकर्ताओं का पारिश्रमिक का रेट एक रुपए साठ पैसे  की जगह  2 रुपए साठ  पैसे कर दिए गए थे। लेकिन विभाग के अधिकारी बढ़ोतरी की राशि को 2 साल से लागू नहीं कर रहे हैं। मंत्री महोदय के साथ हुई बैठक का पत्र भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा है। मदर ग्रुप की कार्यकर्ताओं को अनेकों बार इस कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। लेकिन इनकी कोई सुनने वाला नहीं है। लंबित मजदूरी के भुगतान की मांग को लेकर  आज सोमवार को फिर से प्रोग्राम अधिकारी के  सेक्टर 15  स्थित कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने रोष प्रकट किया  और जमकर नारे लगाए। उन्होंने चेतावनी दी है । कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया तो आगामी 24 जुलाई को जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने सेक्टर 12 में यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ता  प्रदर्शन करेंगी और जिलाधीश को मांगों का ज्ञापन सौंपा जाएगा। आज के प्रदर्शन की अध्यक्षता यूनियन की प्रधान निज रवि ने की।   अपने अध्यक्षीय भाषण में निज रवि ने बताया कि वर्ष 2018 में मंत्री महोदय के साथ हुई बैठक में   भविष्य में मदर ग्रुप की कार्यकर्ताओं को मिलने वाली मजदूरी की राशि उनके बैंक खातों में सीधे   हस्तांतरित करने पर भी सहमति बन गई थी। मंत्री महोदय ने आदेश भी दिया था। कि भविष्य में   ग्रामीण स्तर पर बनाई गई कमेटियां   निष्प्रभावी मानी जाए। इन कमेटियों को केवल देखभाल करनी होगी। मजदूरी का भुगतान विभाग के अधिकारी सीधे मगर ग्रुप के बैंक खातों में जमा करेंगे। लेकिन इन आदेशों को जिला प्रोग्राम अधिकारी और बाल विकास अधिकारी का कार्यालय लागू नहीं करता है।   उन्होंने बताया की मदर ग्रुप की वर्कर  पिछले काफी दिनों से परेशान हैं। इन वर्करों से आंगनबाड़ी सेंटरों में बच्चों के लिए दिन  का खाना बनाने का काम लिया जाता रहा है। लेकिन वेतन देने के नाम पर सीडीपीओ और प्रोग्राम अधिकारी बहाने बनाती हैं।   कोरोना महामारी के चलते हुए  लॉक डाउन  होने के बाद भी मजदूरों को इस अवधि का वेतन देने का पत्र जारी किया था लेकिन जिला बाल विकास अधिकारी मदर ग्रुप की कार्यकर्ताओं को  लॉक डाउन अवधी का वेतन देना तो दूर रहा विगत वर्ष का  वेतन नहीं दे रही है। जबकि सरकार के पास पर्याप्त बजट है।   डंगवाल ने  बताया कि इन वर्केरो  को अपने घर से एडवांस में ईंधन, दलाई, पिसाई आदि पर पैसा खर्च करना पड़ता है। जबकि यह  विभाग का बनता है। लेकिन यहां पर मजदूरों की कोई सुनने वाला नहीं है घर से पैसे लगाकर बच्चों को दिन का पोषाहार देने के बाद भी अपने घर से लगाए गए धनराशि की वसूली वर्षों तक नहीं हो रही है। विभाग के अधिकारी और इंतजार करो की बात कह कर टाल देते हैं।

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