HEADLINES


More

दो विभागों के प्रधान सचिव के पत्रों से एससी / बीसी वर्ग के कर्मियों में पैदा हुई भ्रम की स्थिति

Posted by : pramod goyal on : Monday 13 July 2020 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//
फरीदाबाद।
पदोन्नति में आरक्षण मामले में एससी / बीसी वेलफेयर विभाग के प्रधान सचिव के पत्र व सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव के स्पष्टीकरण से कर्मियों में भारी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश के कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने इस मामले में सरकार द्वारा जारी किए गए सभी पत्रों का विस्तृत अध्ययन करने उपरांत मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को पत्र लिख पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर दोबारा से स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करने की मांग की है। ताकि प्रदेश के कर्मियों में पैदा हुए ‌भ्रम को दूर किया जा सके। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव ने  23 जुलाई,2020 को पत्र जारी करके विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के 15 नवंबर,2018 को पदोन्नति में आरक्षण देने के जारी आदेशों को वापस ले लिया है। उन्होंने बताया कि इसका विरोध होने और अखबारों की सुर्खियां बनने के उपरांत सामान्य  प्रशासन हरियाणा सरकार के प्रधान सचिव बिजेंद्र कुमार ने स्पष्टीकरण दिया कि 15 नवंबर,2018  के पत्र में रोस्टर प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के लिए चयन सूची बनाते समय मैरिट सूची अलग से तैयार करने के लिए कहा गया था। लेकिन कैटेगरी वार अलग से मैरिट लिस्ट नहीं बनाई जा सकती। इसलिए सरकार ने एडवोकेट जनरल हरियाणा की राय के बाद इस पत्र को वापिस लिया गया है। इससे सरकार की मंशा पर और भी प्रश्न खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्पष्टीकरण अधूरा है। क्योंकि 23 जून,2020 को जारी किए गए पत्र में केवल 15 नवंबर, 2018 के पत्र को वापिस लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पत्र की भाषा से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पत्र में लिखित केवल जाति के अनुसार अलग से मैरिट लिस्ट बनाने के हिस्से को वापिस लिया गया है तथा पदोन्नति में आरक्षण रोस्टर प्रणाली अनुसार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जब आज कोराना महामारी से कर्मचारियों एवं जनता की एकता की आवश्यकता है,उस अवसर पर सरकार ने बिना ठोस कारण बताएं इस प्रकार के अनावश्यक पत्र जारी करने का औचित्य नहीं है। यह  कर्मचारियों की एकता तोड़ने के अलावा और कुछ नहीं हो सकता। कर्मचारी सरकार की इस चाल को भली-भांति समझ रहे हैं और वे एकजुट है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने बताया कि हरियाणा में सरकार द्वारा अलग-अलग समय पर जारी अलग-अलग पत्रों के मार्फत ग्रुप डी व सी के कर्मचारियों को रोस्टर प्रणाली अनुसार पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान है। लेकिन पी राघवेन्द्र राव कमेटी द्वारा 2013 में जारी की गई रिपोर्ट अनुसार पदोन्नति में आरक्षण प्रथम व द्वितीय श्रेणी में शून्य व तृतीय श्रेणी में 11.22 प्रतिशत है, जो स्पष्ट दिखाता है कि पदोन्नति के लिए रोस्टर प्रणाली को ठीक से लागू नहीं किया गया है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा 15 नवंबर,2018 को पत्र जारी किया गया । जिसमें स्पष्ट हिदायतें दी गई कि पदोन्नति में आरक्षण के लिए रोस्टर प्रणाली को सख्ती से लागू किया जाए तथा अलग-अलग केटेगरी की अलग-अलग मैरिट लिस्ट बनाई जाए। लेकिन मुख्य सचिव हरियाणा सरकार के 18 जुलाई को जारी निर्देशों की पालना करते हुए विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 23 जुलाई,2020 को जारी पत्र अनुसार अनूसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के एसीएस द्वारा 15 नवंबर,2018 को जारी पत्र को वापिस ले लिया गया। जिससे  कर्मचारियों में यह शक पैदा हो गया कि  सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को वापिस ले लिया गया है और यही सच भी है। जिसकी सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा घोर निन्दा करता है। उन्होंने सरकार से  पदोन्नति में आरक्षण बारे दोबारा से स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करने  और पात्र कर्मचारियों की पदोन्नति करने के साथ ही अनुसूचित जाति के बैकलाॅग को भी जल्द से जल्द भरने की मांग की है। ऐसा न होने पर एसकेेेएस को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।


No comments :

Leave a Reply