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बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में देने के खिलाफ प्रर्दशन किया

Posted by : pramod goyal on : Friday 10 July 2020 0 comments
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फरीदाबाद,10 जुलाई।
संसद में बिजली निजीकरण संशोधन बिल पारित हुए बिना ही चंडीगढ़ सहित सभी केन्द्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में देने के खिलाफ बृहस्पतिवार को बिजली कर्मचारियों ने सर्कल कार्यालय पर प्रर्दशन किया। प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम व हरियाणा विधुत प्रसारण निगम के अधिक्षण अभियंताओं को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से जन विरोधी, किसान, मजदूर, गरीब उपभोक्ता,कर्मचारी व इंजीनियर विरोधी बिजली संशोधन बिल 2020 के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की गई है। ज्ञापन में गैर संवैधानिक एवं गैर कानूनी तरीके से केन्द्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण प्रणाली के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की। सेक्टर 23 में एसई नरेश ककड़ को ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल में इलैक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व एनएचपीसी वर्कर यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, राज्य उप प्रधान सतपाल नरवत,सर्कल सचिव अशोक कुमार,रामचरण, बल्लभगढ़ यूनिट के प्रधान रमेश चंद्र तेवतिया, सचिव कृष्ण कुमार, एनआईटी के प्रधान भूपसिंह, सचिव गिरीश चंद्र, उप प्रधान डिगंबर व ओल्ड फरीदाबाद इकाई के सचिव करतार सिंह आदि शामिल थे।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष व ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र सरकार 11 राज्य सरकारों के विरोध के बावजूद बिजली निजीकरण के बिजली संशोधन बिल 2020 को आगामी मानसून सत्र में पारित कराने पर आमादा है। उन्होंने बताया कि संसद में बिल पास होने से पहले ही केन्द्र सरकार ने चंडीगढ़ सहित अन्य सभी केन्द्र शासित प्रदेशों के निजीकरण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस असंवैधानिक निर्णय के खिलाफ चंडीगढ़ सहित अन्य जगहों पर कर्मचारी व इंजीनियर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज इलैक्ट्रिसिटी इंम्पलाइज फैडरेशन ऑफ इंडिया के अखिल भारतीय आह्वान पर प्रस्तावित बिल के खिलाफ और चंडीगढ़ बिजली कर्मचारियों के आंदोलन की एकजुटता में देशभर में प्रदर्शन किए गए और प्रधानमंत्री व केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन भेजें गए हैं। उन्होंने बताया कि बिजली का निजीकरण हुआ तो बिजली की दरों में भारी वृद्धि होगी और बिजली गरीबों व किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। इसलिए इस बिल का किसान, मजदूर, कर्मचारी व इंजीनियर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर केन्द्र सरकार 11 राज्यों और कर्मचारियों, इंजीनियर व मजदूरों के विरोध के बावजूद बिल को संख्या बल पर संसद में पारित किया तो बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर देशव्यापी हड़ताल करने पर मजबूर होंगे।

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