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फरीदाबाद। दिल्ली से सटे फरीदाबाद में इस कोरोना काल मे एक परिवार पर एक साथ दो दो पहाड़ टूटे एक तो परिवार ने अपने एक सदस्य को खो दिया दूसरे उन्हें अंतिम संस्कार के लिए शव भी नहीं मिला। घटना फरीदाबाद के बल्लभगढ़ की ,सुभाष कलोनी की है जहाँ कल देर शाम दो पक्षों हुए झगड़े में जमकर चाकू चले जिसमे एक पक्ष की तरफ से दो लोग घयल हो गए थी और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी ।घटना के बाद मृतक के शव को पुलिस ने देर रात पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया था लेकिन जब परिजन पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल को मोर्चरी पर पहुँचे तो मोर्चरी से उन्हें शव गायब मिला । मोर्चरी में शव न मिलने के बाद परिजनों ने अस्पताल और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तो घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुँच गए और गुस्साई भीड़ को अस्पताल के खिलाफ उचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए उन्हें शांत करवाया। लेकिन इस मामले में अस्पताल प्रशासन कुछ भी कहने से बचता नजर आया।
यह तस्वीरे फरीदाबाद सिविल अस्पताल की मोर्चरी के बाहर हो रहे हंगामे की है।हंगामा कर रहे लोगों का आरोप है कि देर रात झगड़े में उनके परिवार के एक सदस्य की चाकुओं से गोद कर निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसके शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया था और पुलिस ने सुबह पोस्टमार्टम कर उचित कार्यवाही करने का आ
श्वासन दिया था लेकिन सुबह जब वह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मोर्चरी पर पहुँचे तो उन्हें शव मोर्चरी में नहीं मिला ।शव नहीं मिलने के बाद परिजनों ने इसकी सूचना अस्पताल के डॉक्टरों को दी जिसके बाद डॉक्टर मोर्चरी पर पहुँचे तो शव वहाँ से गायब था । अस्पताल की मोर्चरी से शव के गायब होने के बाद मौके पर खड़ी भीड़ के गुस्से से बचने के लिए अस्पताल के डॉक्टर भी मौके से गायब हो गए।परिजनों का आरोप है कि इस शव के गायब होने में पुलिस और अस्पताल प्रशासन दोनो की लापरवाही है यदि पुलिस सही समय पर पोस्टमार्टम की कार्यवाही करते तो बॉडी मोर्चरी से गायब नहीं होती क्योंकि उनके सामने ही एक एम्बुलेंस में कोरोना के शव को दाहसंस्कार के लिए ले जाया गया और जब वह अपने परिचित के शव को देखने के लिए पहुँचे तो शव मोर्चरी में नहीं था जिसके बाद उन्होंने तुरंत कोरोना पॉजिटिव शव के दाहसंस्कार को रोकने के लिए कहा और कहा कि उसका एक फोटो ही उनके वट्सअप पर सेंड करा दो ताकि वह उसकी शिनाख्त कर पाएं लेकिन अस्पताल के डॉक्टर ने कोई सुनवाई नहीं कि जिसके चलते उनके परिचित के शव का कोविड 19 के तहत दाहसंस्कार कर दिया गया। इस तरह एक परिवार पर एक नही दो दो पहाड़ एक साथ टूट पड़े एक तो एक परिवार ने अपने एक परिवार सदस्य को तो हमेशा के लिए खो दिया दूसरे वह अपने मुस्लिम रीति रिवाज के तहत दाहसंस्कार भी नहीं कर पाए। वहीं इस शव के गायब होने के मामले में अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है जब हमने मोर्चरी में पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारियों से बात की तो पाया कि बिना किसी सरकारी अनुमति के एक शराबी व्यक्ति शवों के पोस्टमार्टम के लिए रखा गया था जब हमने उससे बात की तो उसने बताया की वह यहाँ पर साफ सफाई का काम करता है उसे इस मोर्चरी में काम करने वाले कर्मचारी दो चार सौ रुपये देते है । जी हाँ अस्पताल की मोर्चरी में एक बाहरी व्यक्ति बिना किसी सरकारी अनुमति के काम करता हुआ पाया। वहीं इस मामले में अस्पताल के PMO, CMO को बार बार फोन मिलाया गया लेकिन सभी जवाब देने से बचते नजर आए।
वहीं जब इस मामले में ACP जयबीर राठी से बात की से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले में जाँच की जा रही है जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी।
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