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फरीदाबाद, 15 जून - नेटफ्लिक्स, अमेजॅन और हॉटस्टार जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों पर दिखाई जाने वाली सामग्री में हिंसा, नग्नता और भाषा के
कारण इस पर सेंसरशिप लगाने को लेकर बहस जारी है। इस बहस से जुड़ते हुए प्रसिद्धि बॉलीवुड अभिनेता जयदीप अहलावत ने इन प्लेटफार्मों के सेल्फ-रेगुलेशन या सेल्फ-सेंसरशिप माॅडल को उचित बताया है। जयदीप अहलावत वेब सीरीज पाताल लोक में अपने बेहतरीन अभियन के कारण चर्चा में है।
जयदीप अहलावत जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के लिबरल आर्ट्स और मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा आयोजित ‘सिनेमा बनाम वेब सीरीज’ अवसर और चुनौतियां’ विषय पर ई-पैनल चर्चा के दौरान मीडिया के विद्यार्थियों से रूबरू थे। चर्चा सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मीडिया संकाय के डॉ. पवन सिंह मलिक ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा भी उपस्थित थे। पैनल सत्र का संचालन डॉ. तरुण नरूला द्वारा किया गया।
जयदीप अहलावत ने कहा कि वह ऑनलाइन सामग्री के सेंसरशिप के विचार का समर्थन नहीं करते हैं। ओटीटी स्पेस रचनात्मकता के साथ कहानी को अधिक यथार्थवादी तरीके से प्रस्तुत करने की अनुमति देता है और यही इसे विशेष बनाता है। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म एक वैश्विक माध्यम है जो इसे सिनेमा से अधिक सशक्त बनाता है।
सिनेमा में अपने अनुभव को मीडिया के विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए हरियाणा के बहुमुखी अभिनेता जयदीप अहलावत, जिन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, कमांडो, विश्वरूपम, राजी जैसी फिल्मों और कई वेब सीरीज में बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है, ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप वेब श्रृंखला और ओटीटी प्लेटफॉर्म के विकास के शुरूआती चरण में हैं। हम पश्चिम सिनेमा की तुलना में पीछे हैं। पश्चिम का सिनेमा हमारे सिनेमा की तुलना में अधिक अभिव्यंजक है। वे अपने वयस्क को एक वयस्क के रूप में मानते हैं और उन्हें पूरी स्वतंत्रता देते हैं। वे यह निर्णय दर्शकों पर छोड़ते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है। सेंसरशिप को रचनात्मकता पर हस्तक्षेप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम अपने सिनेमा में समाज का सिर्फ एक पक्ष और अच्छाई ही दिखायेंगे तो जल्द ही नाकार दिये जायेंगे क्योंकि मीडिया के कारण आज कुछ भी छिपा नहीं है। इसलिए, हमें सेल्फ-सेंसरशिप मोडल को ही अपनाना होगा।
कारण इस पर सेंसरशिप लगाने को लेकर बहस जारी है। इस बहस से जुड़ते हुए प्रसिद्धि बॉलीवुड अभिनेता जयदीप अहलावत ने इन प्लेटफार्मों के सेल्फ-रेगुलेशन या सेल्फ-सेंसरशिप माॅडल को उचित बताया है। जयदीप अहलावत वेब सीरीज पाताल लोक में अपने बेहतरीन अभियन के कारण चर्चा में है।
जयदीप अहलावत जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के लिबरल आर्ट्स और मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा आयोजित ‘सिनेमा बनाम वेब सीरीज’ अवसर और चुनौतियां’ विषय पर ई-पैनल चर्चा के दौरान मीडिया के विद्यार्थियों से रूबरू थे। चर्चा सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मीडिया संकाय के डॉ. पवन सिंह मलिक ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा भी उपस्थित थे। पैनल सत्र का संचालन डॉ. तरुण नरूला द्वारा किया गया।
जयदीप अहलावत ने कहा कि वह ऑनलाइन सामग्री के सेंसरशिप के विचार का समर्थन नहीं करते हैं। ओटीटी स्पेस रचनात्मकता के साथ कहानी को अधिक यथार्थवादी तरीके से प्रस्तुत करने की अनुमति देता है और यही इसे विशेष बनाता है। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म एक वैश्विक माध्यम है जो इसे सिनेमा से अधिक सशक्त बनाता है।
सिनेमा में अपने अनुभव को मीडिया के विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए हरियाणा के बहुमुखी अभिनेता जयदीप अहलावत, जिन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, कमांडो, विश्वरूपम, राजी जैसी फिल्मों और कई वेब सीरीज में बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है, ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप वेब श्रृंखला और ओटीटी प्लेटफॉर्म के विकास के शुरूआती चरण में हैं। हम पश्चिम सिनेमा की तुलना में पीछे हैं। पश्चिम का सिनेमा हमारे सिनेमा की तुलना में अधिक अभिव्यंजक है। वे अपने वयस्क को एक वयस्क के रूप में मानते हैं और उन्हें पूरी स्वतंत्रता देते हैं। वे यह निर्णय दर्शकों पर छोड़ते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है। सेंसरशिप को रचनात्मकता पर हस्तक्षेप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम अपने सिनेमा में समाज का सिर्फ एक पक्ष और अच्छाई ही दिखायेंगे तो जल्द ही नाकार दिये जायेंगे क्योंकि मीडिया के कारण आज कुछ भी छिपा नहीं है। इसलिए, हमें सेल्फ-सेंसरशिप मोडल को ही अपनाना होगा।
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