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फरीदाबाद।
कोविड 19 के खिलाफ जंग लड़ रहे डाक्टरों के मददगार स्वास्थ्य विभाग के ठेका कर्मचारियों ने बुधवार को अपनी संभावित छंटनी के खिलाफ लंच टाइम में रोष प्रदर्शन किया। इस प्रर्दशन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, जिला प्रधान अशोक कुमार, जिला सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर व ब्लाक प्रधान करतार सिंह ने शामिल होकर छंटनी करने के प्रयासों की घोर निन्दा की और आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया। प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य विभाग के इन ठेका कर्मचारियों को कोरोना योद्वा बताते हुए इन पर फूलों की बरसात करने व थालियां बजवाने का ढोंग करती है और दूसरी तरफ इस महामारी में कई कई सालों से पीएचसी, सीएचसी व सामान्य हस्पताल में तैनात ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने में तुली हुई है। जिसका प्रदेशभर में विरोध किया जाएगा। मीटिंग में सरकार को आगाह किया गया की अगर 6 जून तक सरकार ने 3200 सिक्योरिटी गार्ड सहित अन्य पदों पर लगें ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई तो 7 जून को सभी श्रेणी के कर्मचारियों की मीटिंग आयोजित कर आगामी आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी केटेगरी से एक भी कर्मचारी को नौकरी से निकाला गया तो सभी ठेका कर्मचारी कार्य बहिष्कार करने पर मजबूर होंगे। जिसकी सभी प्रकार की जिम्मेदारी सरकार की होगी।उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग ने सालों से तैनात 3200 सिक्योरिटी गार्ड को नौकरी से हटा कर होमगार्ड लगाने और विभाग में विभिन्न पदों पर तैनात ठेका कर्मचारियों के 27 फरवरी की गाइडलाइंस के मुताबिक मेन पावर के नए टेंडर आमंत्रित करने का फैसला लिया है। सरकार व हेल्थ विभाग द्वारा इस मामले में निरंतर प्रकाशित हो रही खबरों पर चुप्पी साध लेने से करीब 15 हजार कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय है। उनकी 30 जून से छंटनी कर दी जाएगी। स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन हरियाणा के बेनर तले हुए इस प्रर्दशन में सैकड़ों की संख्या में सिक्योरिटी गार्ड, सफाई कर्मचारी,वार्ड सर्वेंट,धोबी,माली, इलेक्ट्रीशियन, लिफ्ट मैन,कम्पुयटर आपरेटर,पलंबर, चपड़ासी आदि ने भाग लिया। प्रर्दशन में सर्व सम्मति से पारित किए प्रस्ताव में सालों से ठेके पर लगे कर्मचारियों को निकालने के निर्णय को रद्द करने,ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को सीधा विभाग के रोल पर रखने,जब तक समान काम के समान वेतन देने की मांग की।
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