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नई दिल्ली: दिल्ली के गौतम नगर के रहने वाले 77 साल के रमेशचंद्र शर्मा की मौत बीते बुधवार को दिल्ली के एम्स में हुई. डॉक्टरों ने उनका शव पैक कर घरवालों को सौंप दिया और यह नहीं बताया कि वो कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीज थे. उनका अंतिम संस्कार ग्रीन पार्क में किया गया, जहां 20 से ज्यादा करीबी और रिश्तेदार शामिल हुए, लेकिन 3 दिन बाद उनकी कोरोनावायरस रिपोर्ट पॉजिटिव निकली है. अब 20 लोगों के परिवार डर के साए में जी रहे हैं. रमेशचंद्र शर्मा के दामाद संजीव शर्मा के मुताबिक, उनके ससुर को करीब 15 मई को एम्स में भर्ती कराया गया. उनकी दोनों किडनियां ठीक से काम नहीं कर रही थीं. जब उन्हें भर्ती किया गया तब उनका कोरोना टेस्ट हुआ जो नेगेटिव था. उन्हें न्यू प्राइवेट वार्ड में भर्ती
किया गया. लेकिन धीरे-धीरे रमेशचंद्र कोमा में चले गए. फिर बुधवार यानी 3 जून को एम्स में ही रमेशचंद्र की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल ने उनके डिस्चार्ज के दस्तावेज देकर रमेशचंद्र शर्मा के शव को पैक कर उनके घरवालों को दे दिया. लेकिन शव देने से पहले एम्स की तरफ से कोरोना की जांच के लिए रमेशचंद्र शर्मा के सैंपल लिए गए.
किया गया. लेकिन धीरे-धीरे रमेशचंद्र कोमा में चले गए. फिर बुधवार यानी 3 जून को एम्स में ही रमेशचंद्र की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल ने उनके डिस्चार्ज के दस्तावेज देकर रमेशचंद्र शर्मा के शव को पैक कर उनके घरवालों को दे दिया. लेकिन शव देने से पहले एम्स की तरफ से कोरोना की जांच के लिए रमेशचंद्र शर्मा के सैंपल लिए गए.
मृतक के परिवार और रिश्तेदारों ने- जो करीब 20 की संख्या में थे- मिलकर ग्रीन पार्क के श्मशान घाट में रमेशचंद्र शर्मा का अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन उसके बाद फिर एम्स से कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट आई तो पता चला कि रमेशचंद्र कोरोना पॉजिटिव थे. इसके बाद 20 परिवारों के लोग, जो अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, वो खौफ और डर के साए में जी रहे हैं. उनका कहना है कि एम्स को शव देने की इतनी जल्दी क्या था, कम से कम कोरोना की जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था. यह सवाल है कि आखिर एम्स के इतने सुरक्षित न्यू प्राइवेट वार्ड तक में कोरोना का संक्रमण कैसे पहुंचा?
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