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1983 पीटीआई व अन्य विभागों से बर्खास्त किए कर्मचारियों की सेवाएं बहाल नहीं होगी होने तक आंदोलन जारी रहेगा

Posted by : pramod goyal on : Saturday 20 June 2020 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद,20 जून।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि जब तक 1983 पीटीआई व अन्य विभागों से बर्खास्त किए कर्मचारियों की सेवाएं बहाल नहीं होगी, प्रदेश में आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के नाम पर दस साल सेवा के बाद एक झटके में 1983 पीटीआई को नौकरी से निकालने की घोर निन्दा की। उन्होंने सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की तरफ से 1983 बर्खास्त पीटीआई की बहाली की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का पुरजोर समर्थन करने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि 19 जून को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले सभी 22 जिलों में प्रर्दशन किए गए हैं और 1983 पीटीआई और अन्य विभागों से नौकरी से बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 2 जुलाई तक बर्खास्त कर्मचारियों की सेवाएं बहाल नही हुई और शुक्रवार को मुख्यमंत्री को संबोधित उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में अंकित मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो 3 जुलाई को सभी विभागों के कर्मचारी प्रदेशभर में प्रर्दशन करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने बताया कि आज कर्मचारियों को सरकार और कोरोना दोनों से लड़ना पड़ रहा है।
प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कोरोना योद्वा कहे जाने वाले 11 हजार स्वास्थ्य ठेका कर्मचारियों को 30 सितंबर को नौकरी से निकालने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण एवं शर्मनाक बताया है। उन्होंने बताया कि पिछले कई सालों से विभाग में तैनात यह 11 हजार ठेका कर्मचारी पिछले 6 महीने से कोविड 19 में डाक्टरों व नर्सों के सहयोगी स्टाफ की बखूबी ड्यूटी निभा रहे हैं। इनको 30 जून को नौकरी से हटाने का फैसला स्वास्थ्य विभाग ने कर लिया था। लेकिन इसके खिलाफ आंदोलन हुआ, जिसके दबाव में इनको 30 सितंबर तक ही सेवा विस्तार दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिस कर्मचारी को यह पता हो कि वह तीन महीने बाद नौकरी से हट जाऐंगा,तो वह कोविड 19 से जान जोखिम में डालकर कैसे लड़ पाएगा। उन्होंने सरकार से इन ठेका कर्मचारियों को ठेकेदारों को बीच से हटाकर सीधे विभाग के पे रोल पर करने और सेवा सुरक्षा प्रदान करते हुए 24 हजार रुपए न्यूनतम मासिक वेतन देने और 50 लाख रुपए एक्स ग्रेसिया राशि योजना में कवर करने की मांग की। ताकि यह कर्मचारी नोकरी जाने के डर से निजात पाकर कोविड 19 के खिलाफ निडरता के साथ जंग लड़ सके। उन्होंने एनएचएम कर्मचारियों की 35 दिन की हड़ताल पीरियड के काटे गए वेतन का भुगतान करने, अनुबंध नवीनीकरण में लगाई गई शर्तों को हटाने और टूकडों में वेतन देने की बजाय एकमुश्त वेतन देने की मांग की।

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