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सातवें नवरात्रे पर वैष्णोदेवी मंदिर में की गई मां कालरात्रि की पूजा

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 31 March 2020 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद। मां वैष्णोदेवी मंदिर में सातवें  नवरात्रे पर आज मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की गई। प्रातकालीन पूजा अर्चना में मंदिर के पुजारी एवं संस्थान के प्रधान जग
दीश भाटिया व अन्य पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस शुभ अवसर पर सभी ने मां कालरात्रि की पूजा की तथा उन्हें प्रसाद का भोग लगाया।
इस अवसर पर मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने मां कालरात्रि की महिमा का बखान करते हुए कहा कि नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती हैशास्त्रों के अनुसार बुरी शक्तियों से पृथ्वी को बचाने और पाप को फैलने से रोकने के लिए मां ने अपने तेज से इस रूप को उत्पन् किया थादुर्गा जी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि हैइनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया और असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया थाइनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारीभी कहते हैं.
उन्होंने कहा कि मान्यता है कि माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता हैमाता कालरात्रि पराशक्तियों (काला जादूकी साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैंमां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैंदेवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विधुत की माला हैइनके चार हाथ हैं जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ हैइसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैइनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती हैकालरात्रि का वाहन गर्दभ(गधाहै.

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