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नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश विधानसभा को कोरोना वायरस की वजह से 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है. फ्लोर टेस्ट की चुनौती झेल रहे सीएम कमलनाथ के लिए यह बड़ी राहत है क्योंकि उनके 20 से ज्यादा विधायक अपना इस्तीफा दे चुके हैं. लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर दाखिल याचिका में कहा गया है, गवर्नर
ने कहा था कि कि 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराया जाए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट नहीं करा रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान की ओर से सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि फ्लोर टेस्ट जल्दी कराए जाए. हालांकि कोरोना वायरस का असर सुप्रीम कोर्ट में भी दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही जरूरी मामलों की सुनवाई कर रहा है कोर्ट परिसर में वकीलों की मेडिकल जांच की जा रही है. पहले मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों के बाद सदन में शक्ति परीक्षण कराने बीजेपी की मांग और प्रदेश सरकार द्वारा स्पीकर का ध्यान कोरोना वायरस के खतरे की ओर आकर्षित किए जाने के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी. राज्यपाल द्वारा शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र हले लिखकर विश्वास मत हासिल करने के निर्देश दिए जाने का हवाला देते हुए बीजेपी ने अभिभाषण के बीच शक्ति परीक्षण कराने की मांग की थी.
राज्यपाल को सदन में अभिभाषण पढ़ते हुए एक मिनट ही हुआ था कि भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल ऐसी सरकार का अभिभाषण पढ़ रहे हैं जो अल्पमत में है.हालांकि राज्यपाल ने विधायकों से अपील की कि वह नियमों का पालन करें और शांति से काम लें. उन्होंने विधायकों से लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए संवैधानिक परंपराओं का पालन करने का आग्रह किया.
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