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फरीदाबाद, 3 फरवरी। अरावली की पथरीली भूमि में कला किस प्रकार अपने सतरंगी रंग बिखेर रही है, इसका आनंद लेने के लिए आपको सूरजकुंड की धरती पर आना ही होगा। यहां पंजाब, हरियाणा ही नहीं अपितु देश-विदेश के कलाकार अपनी मस्ती भरे संगीत और नृत्य से पर्यटकों का मन लुभा रहे हैं।
34वें अंतर्राष्टï्रीय सूरजकुंड मेले के
मुख्य मंच चौपाल पर आज सुबह 11 बजे संगीत की स्वर लहरियों ने तान छेड़ी तो कलाकारों के पांव भी थिरक उठे। सर्वप्रथम पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के लोक कलाकारों ने बिगुल बजाकर आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंडी जिला की महिला एवं पुरूष नर्तकों ने असां तां जाणा ठाकुरद्वारा लोकगीत पर मनोहारी नृत्य की प्रस्तुति दी। अफ्रीका महाद्वीप के देश मलावी के लोककलाकारों ने मलिपेंगा नामक नृत्य की प्रस्तुति दी। इस नाच में उन्होंने दिखाया कि युद्घ के बाद सैनिक जीत की खुशी में अपने राजा के सामने ड्रम व अन्य परंपरागत वाद्यों की धुन पर नाचते तो हैं, साथ ही जो सैनिक लड़ाई में मारे गए, उनसे बिछुडऩे की भावना भी व्यक्त की जाती है।
34वें अंतर्राष्टï्रीय सूरजकुंड मेले के
मुख्य मंच चौपाल पर आज सुबह 11 बजे संगीत की स्वर लहरियों ने तान छेड़ी तो कलाकारों के पांव भी थिरक उठे। सर्वप्रथम पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के लोक कलाकारों ने बिगुल बजाकर आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंडी जिला की महिला एवं पुरूष नर्तकों ने असां तां जाणा ठाकुरद्वारा लोकगीत पर मनोहारी नृत्य की प्रस्तुति दी। अफ्रीका महाद्वीप के देश मलावी के लोककलाकारों ने मलिपेंगा नामक नृत्य की प्रस्तुति दी। इस नाच में उन्होंने दिखाया कि युद्घ के बाद सैनिक जीत की खुशी में अपने राजा के सामने ड्रम व अन्य परंपरागत वाद्यों की धुन पर नाचते तो हैं, साथ ही जो सैनिक लड़ाई में मारे गए, उनसे बिछुडऩे की भावना भी व्यक्त की जाती है।
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