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अवैध निर्माणों पर प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई महज ढकोसला - पाराशर

Posted by : pramod goyal on : Friday 7 February 2020 0 comments
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फरीदाबाद। अरावली वन क्षेत्र में गुरुवार को अवैध निर्माणों पर प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई महज ढकोसला थी। यह कार्रवाई केवल सुप्रीम कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने के लिए की गई। यह आरोप जिला बार असोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर ने शुक्रवार को मीडिया के समक्ष प्रशासन पर लगाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन अरावली मामले में लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उडा रहा है। गुरुवार को की गई तोडफ़ोड़ की यह कार्रवाई महज दिखावे के लिए ही की गई थी। प्रभावशाली लोगों के फार्म हाऊस छोड़ दिए गए, जब
कि जिन लोगों की सिफारिश नहीं थी, उन्हें तोडक़र वन विभाग ने अपनी वाह वाही बटोरने की कोशिश की। राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अरावली माफियाओं  की नाममात्र के लिए एकाध दीवार तोड़ी गई, जबकि इस रोड पर विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री एवं अधिकारियों के फार्म हाऊस भी बने हुए हैं, मगर उन्हें छोड़ दिए गया। गोपाल गऊशाला की ओर जाने वाले रास्ते के दोनों तरफ बने हुए फार्म हाऊस की ओर वन विभाग ने देखा तक नहीं। इनमें से एक फार्म हाऊस में करीब पंद्रह एकड़ पर अवैध रूप से भव्य होटल बनाया जा रहा है। पंरतु उन्हें छेड़ा तक नहीं गया। पाराशर ने कहा कि  अरावली वन क्षेत्र के सूरजकुंड रोड व अनखीर रकबे में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से फार्म हाऊस व मैरिज गार्डन बने हुए हैं। जबकि वन प्रतिबंधित एरिया होने की वजह से यहां किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पूर्ण रूप से वर्जित हैं। मगर किसी भी अधिकारी ने समय रहते कार्रवाई नहीं की,जिस कारण अरावली वन क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंधित आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गई। आज भी इस क्षेत्र में जमकर अवैध तरीके से मैरिज गार्डन व फार्म हाऊस बनाए जा रहे हैं । मगर जिला प्रशासन व वन विभाग आंखें मूंदे बैठा है। पाराशर ने कहा कि नगर निगम एवं वन विभाग के अधिकारी ही यहां निर्माण करवाने के दोषी हैं। जब तक दोषी अधिकारियों को जेल में नहीं डाला जाएगा, तब तक वह अपनी कानूनी कार्यवाही जारी रखेंगे।  

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