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विश्व आद्र भूमि दिवस पर जल स्त्रोतों को संरक्षित करने का आह्वान।

Posted by : pramod goyal on : Sunday 2 February 2020 0 comments
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फरीदाबाद। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी नंबर तीन फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रास और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड के संयुक्त तत्वावधान में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में विश्व आद्र भूमि दिवस पर जल स्त्रोतों को
संरक्षित करने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम में छात्राओं और अध्यापकों को रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को भूमि या वेटलैंड कहा जाता है। दरअसल वेटलैंड्स वे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं। आद्र भूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आद्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। भारत में आद्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। विश्व आद्रभूमि दिवस का उद्देश्य आद्रभूमि के संरक्षण की ओर ध्यान केन्द्रित करना है जो मानव गतिविधि से प्रभावित हो सकता है। आद्रभूमि की नष्ट होने की दर लगभग 1% है जो कि वनों के नष्ट होने की दर से काफी अधिक है। 2 फरवरी, 1971 को ईरान के शहर रामसर में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये गये थे, इसका उद्देश्य आद्रभूमि के संरक्षण के लिए कार्य करना है। आद्र भूमि जलवायु सम्बन्धी आपदाओं के विरुद्ध बफर के रूप में कार्य करती हैं, इससे जलवायु परिवर्तन के आकस्मिक प्रभावों से बचा जा सकता है। इसकी थीम आद्रभूमि   व जलवायु परिवर्तन पर आधारित है। इस थीम का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग का सामना करने में आद्रभूमि जैसे दलदल तथा मंग्रोव के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पहले समय के तालाबों, पोखरों, जलाशयों तथा झीलों को संरक्षित कर हम इस दिवस की सार्थकता को सिद्ध कर सकते है। इस अवसर पर जूनियर रेडक्रास की सदस्य छात्राओं ने जल संरक्षण और जल स्त्रोतों के संरक्षण के पोस्टर द्वारा सभी को जागरूक होने की आवश्यकता परबल दिया। मौके पर प्राध्यापक सुंदर लाल, सोनिया, प्रेमदेव यादव, शिवम् सहित सभी अध्यापकों ने बच्चों के  सुंदर प्रयासों की सराहना की।

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