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नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक पार्टी, दूसरी पार्टी को दागदार और खुद को साफ-सुथरी बताने का कोई मौका नहीं चूक रही। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि विधानसभा चुनाव 2008, 2013 और 2015 के दौरान आपराधिक और गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की क्या स्थिति रही। तीनों चुनाव में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की संख्या राष्ट्रीय पार्टियों में ज्यादा रही और भाजपा में सबसे ज्यादा थी।
2008 के आकंड़ों के मुताबिक, आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार सबसे अधिक 67 कांग्रेस के थे। उसके बाद भाजपा के 63, बसपा के 64, जदयू 11, सपा 31, लोजपा 37, राकांपा 15, एसएचएस (शिवसेना) 8 और अन्य के 494 उम्मीदवार थे। वहीं गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या 2008 में सबसे अधिक 22 भाजपा में थी और सबसे कम जदयू 1 और एसएचएस के 1 थे। वहीं 2013 में सबसे अधिक 31 भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं कांग्रेस के 15, बसपा के 14 और जदयू के 8 थे और आप के 5 जबकि सबसे कम शिवसेना के 2 उम्मीदवार थे। वहीं 2015 में भाजपा के सबसे अधिक 27 और कांग्रेस के 21, बसपा के 12 आप के 23 और एसएचएस के 4 उम्मीदवार थे। अगर शैक्षित योग्यता की बात करें तो 2008 के चुनाव में 41 फीसदी प्रत्याशी 12वीं पास थे।
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