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चंडीगढ़। खेल विभाग में निदेशक रहे जगदीप सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अब उन पर निदेशक पद पर रहते हुए ए-ग्रेड का केवल एक ही सर्टिफिकेट अपने बेटे शूटर विश्वजीत का ही जारी करने का आरोप है। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर खेल कोटे से विश्वजीत का एचसीएस के पद पर चयन हुआ है। मामले में खेल विभाग में प्रधान सचिव रहे सीनियर आईएएस अशोक खेमका की ओर से इस सर्टिफिकेट पर सवाल उठाए गए थे।
सीनियर आईएस अशोक खेमका ने कहा था कि नियमानुसार उनका ग्रेड-बी का सर्टिफिकेट बनता है। अब आरटीआई से ली गई सूचना में सामने आया है कि जगदीप सिंह ने अपने बेटे को ही ए-ग्रेड का सर्टिफिकेट जारी किया है। जबकि आईएसएसएफ जूनियर कप में विश्वजीत के कांस्य पद व्यक्तिगत दिखाया गया है जबकि यह टीम मेडल है।
सर्टिफिकेट में भी टीम मेडल नहीं लिखा गया है। जबकि व्यक्तिगत प्रदर्शन में उनका रैंक सोलहवां था। सूत्रों का कहना है कि खेमका की ओर से पूर्व में इस मामले में लिखे गए पत्र के बाद मुख्य सचिव की ओर से जांच कराई गई है। अब नया मामला सामने आने पर नई जांच फिर शुरू होगी, जिसमें सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है। इधर, आईएएस जगदीप सिंह पहले ही सभी आरोपों को नकार चुके हैं। उन्होंने कहा था कि कोई भी सर्टिफिकेट गलत नहीं है और वे जांच के लिए तैयार हैं।
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