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फरीदाबाद, 9 जनवरी - नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल ने इंजीनियरिंग संस्थानों से बहु-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने और आधुनिक प्रौद्योगिकीय उन्नति के अनुरूप अपने पाठ्यक्रम को विकसित करने के लिए कहा है।
प्रो. अग्रवाल जे.सी. बोस विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आयोजित फ्यूजन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएसएफटी-2020) के 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। सत्र को हेक्सागन इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रमोद कौशिक ने भी संबोधित किया। इससे पहले, कुलसचिव डॉ. एस. गर्ग ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया और सम्मेलन के दौरान की गई कार्यवाही और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। सत्र के अंत में डाॅ. मनीष वशिष्ठ ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर टीईक्यूआईपी निदेशक डाॅ. विक्रम सिंह भी उपस्थित थे।
प्रो. अग्रवाल, जो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में तकनीकी पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता मानकों के आधार पर मान्यता देने की प्रमुख संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा कि आज, इंजीनियरिंग संस्थानों की मुख्य जिम्मेदारी ऐसे इंजीनियर तैयार करना है जो प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए मौजूदा समस्या का करने में सक्षम हो।
इंजीनियरिंग में गणित के महत्व पर जोर देते हुए, प्रो. अग्रवाल ने कहा कि आज के इंजीनियरिंग प्रोडक्टर्स मुख्यतः गणितीय संरचना पर आधारित है। यहां तक कि आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी गूगल भी गणित में पीएचडी कर्मचारियों को वरीयता दे रहा है। इसलिए, इंजीनियरिंग छात्रों को बहु-विषयक ज्ञान और कौशल हासिल करना होगा। उन्होंने मौजूदा पाठ्यक्रम में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के साथ-साथ आर्ट्स के विषयों की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रो. के. के. अग्रवाल ने बहु-विषयक अनुसंधान पर विचार-विमर्श के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन पर विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की।
प्रो. अग्रवाल जे.सी. बोस विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आयोजित फ्यूजन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएसएफटी-2020) के 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। सत्र को हेक्सागन इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रमोद कौशिक ने भी संबोधित किया। इससे पहले, कुलसचिव डॉ. एस. गर्ग ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया और सम्मेलन के दौरान की गई कार्यवाही और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। सत्र के अंत में डाॅ. मनीष वशिष्ठ ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर टीईक्यूआईपी निदेशक डाॅ. विक्रम सिंह भी उपस्थित थे।
प्रो. अग्रवाल, जो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में तकनीकी पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता मानकों के आधार पर मान्यता देने की प्रमुख संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा कि आज, इंजीनियरिंग संस्थानों की मुख्य जिम्मेदारी ऐसे इंजीनियर तैयार करना है जो प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए मौजूदा समस्या का करने में सक्षम हो।
इंजीनियरिंग में गणित के महत्व पर जोर देते हुए, प्रो. अग्रवाल ने कहा कि आज के इंजीनियरिंग प्रोडक्टर्स मुख्यतः गणितीय संरचना पर आधारित है। यहां तक कि आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी गूगल भी गणित में पीएचडी कर्मचारियों को वरीयता दे रहा है। इसलिए, इंजीनियरिंग छात्रों को बहु-विषयक ज्ञान और कौशल हासिल करना होगा। उन्होंने मौजूदा पाठ्यक्रम में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के साथ-साथ आर्ट्स के विषयों की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रो. के. के. अग्रवाल ने बहु-विषयक अनुसंधान पर विचार-विमर्श के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन पर विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की।
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