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फरीदाबाद। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की पहली सूचि जारी होते ही भाजपा में चुनाव लडऩे के संजीदा नेताओं में बगावत के सूर फूटने लगे है। भाजपा प्रत्याशियों की जारी सूची से नाराज चुनाव लडऩे का इच्छुक कई नेता अब भाजपा को अलविदा कर या तो निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुके है या फिर दूसरे दलों के सम्र्पक में है। पांच साल तक क्षेत्र में काम करके टिकट की बाट जोह रहे इन नेताओं की मजबूरी है कि वे चुनाव लड़े, अन्यथा उनकी राजनीति पर भविष्य में विराम लग सकता है। कई नेता या तो अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर दबाव की रणनीति बना रहे है तो कई कांग्रेस व दूसरे दलों से सम्र्पक कर चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे है। जिन्हे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, वे निर्दलीय ही चुनाव लडऩे की घोषण कर चुके है। इनमें कुछ नेता तो ऐसे भी है जो टिकट के लिए कांग्रेस व दूसरे दलों को छोडकर भाजपा में गए थे, अब वे टिकट न मिलने की स्थिति में पुन: घर वापसी का रास्ता देख रहे है। कई दिज्गज नेताओं की भी भाजपा लिस्ट में टिकट काट दी गई है। वे भी भाजपा को सबक सिखाने का पूरा मन बना चुके है। ऐसे में भाजपा की बागी नेता ही भाजपा का चुनावी गणित बिगाड सकते है। इसे कई लोग सांसदों के दबाव में पार्टी का झुकना बता रहे है तो कई कांग्रेस की चुनावी बागडोर संभाल रहे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की राजनीति बिसात का हिस्सा मानकर चल रहे है। क्योंकि भूपेन्द्र हुड्डा के दूसरे दलों के नेताओं से न केवल अच्छे संबंध है, बल्कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होने उन्हे सीएलयू के कई मामलों में अािर्थक लाभ से भी नवाजा है।
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