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आजादी के लिए बलिदान जरूरी है, चाहो तो अमर होना विश्वास जरूरी है: मनीषी

Posted by : pramod goyal on : Saturday 17 August 2019 0 comments
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फरीदाबाद: आर्य समाज सैक्टर - 15 में स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल कवि सम्मेलन में आए कवियों ने देश भक्ति से ओत-प्रोत कविता पाठ कर श्रोताओं को मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इन्द्रप्रस्थ गुरूकुल के आचार्य ऋषिपाल ने की। जम्मू कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने का बखान करते हुए डाॅ. सारस्वत मोहन मनीषी ने अपनी हूंकार भरते हुए कहा कि ‘‘हम भूल नहीं पाए आह्वान मुखर्जी का, आशीष शीश पर बलिदान मुखर्जी का, और व्यर्थ नहीं बलिदान मुखर्जी का’’। जम्मू कश्मीर में तिरंगे को जलाए जाने की घटनाओं से आहत मनीषी ने कहा कि हम जानते हैं सम्मान तिरंगे का, नहीं होने देंगे अपमान तिरंगे का। हर भारतवासी का भगवान तिरंगा। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए बलिदान जरूरी है, चाहो तो अमर होना विश्वास जरूरी है। वीररस कवि प्रभात परवाना ने कहा कि कश्मीर में जब फौजियों का अलगाव वादियों द्वारा अत्याचार होते हैं तो उसे दुख नहीं होता। उन्होंने पंक्तिवद् अपनी कविता के माध्यम से कहा कि ‘‘हम वन्दे मातरम नहीं कहेंगे, ये सुनकर फौजी रोता है’’। फौजी की दिचर्या का बखान करते हुए परवाना ने कहा कि फौजी का हाल देखकर भी उनके बच्चे कहते हैं ‘‘थोड़ा रूक जाओ पापा मैं भी साथ तुम्हारे जाऊंगा, तुम बन्दूक चलाना सीमा पर मैं तिरंगा झण्डा फहराऊंगा। कवियित्री अंजना ‘‘अंजुम’’ ने कहा कि जिन्दा हॅू जिन्दगी के गीत गा रही हूॅं मैं, मायूस हा घड़ी में मुस्कुरा रही हूॅं मैं, ख्वाहिश के आसमां पे मन ख्वाब जो देखे, हकीकत की इस जमीं पे उनको पा रही हूॅं मैं। कवि धर्मेश अविचल ने देश पर शहीद जवानों को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अमर शहीदों शत-शत नमन, तुम्हारी अमर जवानी को, लहू धारा से लिखी आपके द्वारा अमिट कहानी को। वीररस के कवि सत्यप्रकाश भारद्वाज ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की दूर दर्शिता पर पंक्तिवद् करते हुए कहा कि चन्द्रगुप्त का भी लगता है भ्राता तू, आधुनिक भारत का चाणक्य है तू। इसके अलावा सुधीर बंसल, राजकरनी अरोड़ा ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर आर्य समाज सैक्टर-15 के प्रधान सत्यप्रकाश अरोड़ा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करतक हुए कहा कि हमें राष्ट्रभक्ति के जुनून को युवा पीढ़ियों में डालने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में जवाहर लाल आहूजा, धर्मवीर भाटिया, हरिओम शास्त्री, योगाचार्य वीरेन्द्र शास्त्री, भीमसेन श्रीधर, सुषमा वधवा, आनन्द मेहता सहित शहर के अनेक प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।

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