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शिक्षा के क्षेत्र में तानाशाही ना करे खट्टर सरकार: कृष्ण अत्री

Posted by : pramod goyal on : Thursday 4 July 2019 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद। आज एनएसयूआई फरीदाबाद के कार्यकर्ताओं ने हरियाणा के सभी कॉलेजों के सभी कोर्स की बढ़ी हुई फीस के विरोध में पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के गेट पर हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस अभियान का आयोजन एनएसयूआई हरि
याणा के प्रदेश सचिव कृष्ण अत्री की अध्यक्षता में किया गया।
एनएसयूआई हरियाणा के प्रदेश सचिव कृष्ण अत्री ने बताया कि अबकी बार एमडीयू ने अपने सभी कॉलेजों के सभी कोर्स की फीस में 2000 से 3000 रुपये की बढ़ोतरी की है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर बढ़ोतरी स्नातक कक्षाओं में की गई है। अत्री ने बताया कि नियम के अनुसार फीस बढ़ोतरी इस वर्ष से दाखिला लेने वाले बच्चो पर लागू होनी चाहिए लेकिन उच्चतर विभाग ने सत्र 2017 और 2018 में दाखिला लिए हुए छात्रों की द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों की फीस को भी दुगना किया करने का काम किया है। उन्होंने बताया कि आटर्स की सभी कक्षाओं में पहले एडमिशन फीस के रूप में लगभग 4400 रुपये लिए जाते थे लेकिन इस सत्र से लगभग 2600 रुपये की बढ़त करते हुए लगभग 6900 रुपये देने होंगे। वहीं विज्ञान की स्नातक कक्षाओं में लगभग 4400 रुपये फीस देनी पड़ती थी लेकिन इस सत्र से 7000 रुपये फीस देनी होगी तथा कॉमर्स की स्नातक कक्षाओं में 3400 रुपये फीस देनी पड़ती थी लेकिन इस सत्र से सभी में 6000 रुपये फीस देनी होगी। अत्री ने बताया कि बीसीए की पहले 5620 रुपये फीस देनी पड़ती थीं लेकिन अब 8579 रुपये देनी होगी औऱ बीबीए की पहले 5020 रुपये देनी होती थी लेकिन अब 7539 रुपये देनी होगी।
अत्री ने खट्टर सरकार औऱ उच्चतर विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि खट्टर सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में तानाशाही नही दिखानी चाहिए। फीस बढ़ोतरी सिर्फ प्रथम वर्ष में ही नही बल्कि द्वितीय और तृतीय वर्ष में भी बढ़ाई है। पहले जितनी फीस छात्रों को प्रथम वर्ष में देनी पड़ती थीं अब उससे भी कही ज्यादा द्वितीय और तृतीय वर्ष में भी देनी है। उन्होंने कहा कि वैसे तो फीस बढ़ोतरी की सरासर नाजायज है लेकिन अगर फीस बढ़ोतरी लागू करनी भी है तो इस सत्र 2019-2020 के छात्रों पर लागू करें है नाकि सत्र 2017 और सत्र 2018 के दाखिला लिए हुए छात्रों पर क्योंकि पिछले सत्र के छात्रों को फीस बढ़ोतरी के बारे में कोई जानकारी नही थी। उन्होंने कहा कि फीस में बढ़ोतरी से शिक्षा का निजीकरण और व्यवसायीकरण हो रहा है। जिस कारण शिक्षा मेहनतकश और वंचित तबकों की पहुंच से लगातार बाहर हो रही है। किसान, मजदूर परिवार के बच्चों का सरकारी कॉलेजों की तरफ ज्यादा रुझान रहता है क्योंकि यहाँ पर फीस प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में बहुत कम होती थी ,लेकिन अबकी बार सरकार ने फीस दुगनी करके गरीब छात्रों से शिक्षा ग्रहण करने का हक छीनने का काम किया है।

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