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फरीदाबाद । हरियाणा में सीएम पद के तीनों कांग्रेसी धुरंधर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, अशोक तंवर और कुमारी शैलजा लोकसभा चुनाव हार गए है। ऐसी स्थिती में जब चार माह बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होना है और कांग्रेस के शीर्ष नेता ही हासिये पर आ गए है। इससे न के
वल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति पर फर्क पडेगा, बल्कि नेताओं की कमी से चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदार भी कांग्रेस बामुश्किल मिल पायेगें। कल तक हर कोई कांग्रेस की टिक्ट पाने के लिए ललायित था, अब अपने बड़े नेताओं की दुर्गति देखकर वे भी चुनाव से कन्नी काट सकते है। 2014 में जब देश में मोदी की लहर थी, जब भी कांग्रेस ने रोहतक की सीट जीतकर अपनी लाज बचा ली थी। लेकिन इस बार तो कांग्रेस का सूपडा ही साफ हो गया। कांग्रेस हाईकमान ने हालांकि प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाकर ये देखने का प्रयास किया था कि कोन कितने पानी में है। लेकिन कोई भी आलाकमान की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का न होना और संगठन के चुनाव न होना तथा बड़े नेताओं में आपसी खीचतान अधिक है। जबकि भाजपा व आरएसएस के कार्यकर्ता न केवल जिला स्तर पर बल्कि बूथ स्तर पर पूरी तरह सक्रिय नजर आए। जिस तरह जींद का उपचुनाव रणदीप सुरजेवाला हारे थे, अब उसी तरह कांग्रेस के तीनों दिज्गज नेताओं का चुनाव हार जाना, उनके लिए जरूर शकुन की बात हो सकता है।
वल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति पर फर्क पडेगा, बल्कि नेताओं की कमी से चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदार भी कांग्रेस बामुश्किल मिल पायेगें। कल तक हर कोई कांग्रेस की टिक्ट पाने के लिए ललायित था, अब अपने बड़े नेताओं की दुर्गति देखकर वे भी चुनाव से कन्नी काट सकते है। 2014 में जब देश में मोदी की लहर थी, जब भी कांग्रेस ने रोहतक की सीट जीतकर अपनी लाज बचा ली थी। लेकिन इस बार तो कांग्रेस का सूपडा ही साफ हो गया। कांग्रेस हाईकमान ने हालांकि प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाकर ये देखने का प्रयास किया था कि कोन कितने पानी में है। लेकिन कोई भी आलाकमान की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का न होना और संगठन के चुनाव न होना तथा बड़े नेताओं में आपसी खीचतान अधिक है। जबकि भाजपा व आरएसएस के कार्यकर्ता न केवल जिला स्तर पर बल्कि बूथ स्तर पर पूरी तरह सक्रिय नजर आए। जिस तरह जींद का उपचुनाव रणदीप सुरजेवाला हारे थे, अब उसी तरह कांग्रेस के तीनों दिज्गज नेताओं का चुनाव हार जाना, उनके लिए जरूर शकुन की बात हो सकता है।
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