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भारतीय रेल पिछले कुछ साल से सबसे ज्यादा सुर्खियों में जिन वजहों से रही
है, वह है उसकी बदलती हुई साफ-सफाई की व्यवस्था, उसमें परोसे जाने वाला
महंगा लेकिन ब्रांडेड भोजन और रेल मंत्री सुरेश प्रभु के ट्वीट, जिनमें रेल
में सफर कर रहे यात्रियों को एक ट्वीट-शिकायत पर बच्चे के दूध से लेकर
दवाई तक उपलब्ध कराई गई.लेकिन अपने कामकाज में कमी के बारे में
दायर एक याचिका के जवाब में जब रेलवे ने यही दलीलें सुप्रीम कोर्ट में दीं
तो 10 अप्रैल को देश की सबसे ऊंची अदालत ने पलट कर पूछा कि बुनियादी सेवाओं
की बात बताइए. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'भारतीय रेल बुनियादी
सुविधाओं के मामले में अंग्रेजी राज से भी बुरे दौर में पहुंच गई है.''
रेलवे की इस दुर्दशा की पुष्टि ट्रेनसुविधा डॉट कॉम (trainsuvidha.com) नाम की इसी महीने लॉन्च हुई साइट पर दिखाए गए आंकड़ों से भी होती है. इस साइट ने पहली बार रेलवे के पिछले चार साल के उस डेटा का अध्ययन किया जिसमें ट्रेनों के लेट होने की जानकारी दी गई थी. मौजूदा साल में पहली तिमाही ही बीती है इसलिए बाकी साल के जनवरी-मार्च के आंकड़ों की इस साल जनवरी-मार्च के आंकड़ों से अलग से तुलना की गई.
रेलवे की इस दुर्दशा की पुष्टि ट्रेनसुविधा डॉट कॉम (trainsuvidha.com) नाम की इसी महीने लॉन्च हुई साइट पर दिखाए गए आंकड़ों से भी होती है. इस साइट ने पहली बार रेलवे के पिछले चार साल के उस डेटा का अध्ययन किया जिसमें ट्रेनों के लेट होने की जानकारी दी गई थी. मौजूदा साल में पहली तिमाही ही बीती है इसलिए बाकी साल के जनवरी-मार्च के आंकड़ों की इस साल जनवरी-मार्च के आंकड़ों से अलग से तुलना की गई.
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